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पाँच दिनों तक की कश्मकश और दिलचस्प क्रिकेट के बावजूद आख़िरकार टीम इंडिया बॉक्सिंग डे टेस्ट में हार गई.
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पहले दो दिनों तक जिस तरीक़े से मेज़बान ने शिकंजा कसा हुआ था और उसके बाद आख़िरी तीन दिनों में रोहित शर्मा के साथियों ने जिस अंदाज़ में जुझारू खेल दिखाया, उससे उनके चाहने वालों को कुछ संतोष हो सकता है लेकिन बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफ़ी में फिर से बढ़त लेने का मौक़ा टीम इंडिया ने गँवा दिया.
पाँचवें दिन की शुरुआत में पहले सत्र में जब कप्तान रोहित शर्मा, केएल राहुल और विराट कोहली एक के बाद एक करके चलते बने, तो टीम इंडिया का स्कोर महज 33 रन था.
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यशस्वी जायसवाल की अच्छी पारी
ऐसा लगा कि मामला चाय तक भी नहीं पहुँचे. इसके बाद पर्थ टेस्ट में शतक लगाने वाले यशस्वी जायसवाल ने पहली पारी की तरह दूसरी पारी में भी संयम और आक्रामकता का बेहतरीन तालमेल दिखाया.
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इस बार दूसरे सत्र के दौरान उन्हें साथ मिला ऋषभ पंत का. इन दोनों खिलाड़ियों ने 88 रनों की बहुमूल्य साझेदारी की.
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लेकिन उससे भी ज़्यादा शानदार बात ये रही कि इन्होंने दूसरे सत्र में 32 ओवर के खेल में एक भी विकेट गिरने नहीं दिया.
जब ऐसा लगा कि अब तीसरे सत्र में टीम इंडिया जीत के बारे में भी सोच सकती है, तभी ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस ने पंत के सामने ट्रेविस हेड को खड़ा करके उन्हें एक साथ ललचाया और उकसाया.
पंत जो अब तक पूरे दौरे में पहली बार अपनी साख के साथ न्याय करते दिख रहे थे, अचानक से बेक़ाबू हो गए और विकेट गँवा बैठे.
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इस शॉट के बाद पंत ख़ुद को बुरी तरह कोस रहे होंगे.
पंत के आउट होते ही नब्बे के दशक वाली टीम इंडिया की याद ताज़ा हो गई, जहाँ पर हर कोई आया राम और गया राम की तर्ज़ पर खेलता दिखा.
आख़िरी के सात विकेट महज 34 रन पर खोने वाली टीम इंडिया को इस बात को लेकर अफ़सोस होगा कि 184 रनों की करारी हार का नतीजा कहीं से भी इस मैच में उनके बेहतरीन खेल को दर्शा नहीं पाएगा.
बहरहाल, अगर भारत की हार के नतीजे से आप अपना ध्यान हटा दें, तो सोमवार को आपको ये महसूस हुआ होगा कि जैसे मेलबर्न क्रिकेट मैदान में मेला लगा हुआ था.
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टेस्ट क्रिकेट का आधुनिक समय में अगर आपको जश्न देखना है, तो कभी मेलबर्न आइए. लगातार पाँच दिनों तक चलने वाले इस मैच के पहले दिन के आँकड़े 87,242 दूसरे दिन 85,147, तीसरे दिन 83,073, चौथे दिन 43,867 और आख़िरी दिन के आँकड़े 51,371 थे.
इस मैदान पर पाँचवे दिन क्रिकेट प्रेमी मैच ख़त्म होते देखने नहीं आते हैं और शायद ही पाँचवे दिन के दर्शकों की संख्या चौथे दिन से ज़्यादा हो.
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बुमराह का शानदार प्रदर्शन
लेकिन, जब अब भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया और वो भी बॉर्डर-गावसकर ट्रॉफ़ी की बात करते हैं, तो आपको हर मैच में वो पटकथा देखने को मिलती है, जो धुरंधर से धुरंधर लेखक भी नहीं लिख सकते हैं.
ऑस्ट्रेलियाई टीम के बारे में एक पारंपारिक धारणा ये है कि हालात चाहे कैसे भी हों, लेकिन ये टीम टेस्ट मैच जीतने के लिए जाती है.
लेकिन, मेलबर्न की पिच का स्वभाव समझने की बात कह लें या फिर भारतीय बल्लेबाज़ी क्रम के चमत्कार दिखाने की काबिलियत, मेज़बान टीम ने पाँचवे दिन की शुरुआत में रविवार रात के स्कोर पर पारी घोषित नहीं की.
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शायद ये सही भी था क्योंकि इस मैच के सर्वश्रैष्ठ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह ने पारी में पाँच विकेट का ना सिर्फ़ कमाल दिखाया, बल्कि इस दौरे पर अपना 30वाँ विकेट भी झटका.
अगर सिडनी में खेले जाने वाले आख़िरी टेस्ट में बुमराह ने आठ विकेट और हासिल कर लिए, तो वो ऑस्ट्रेलियाई ज़मीं पर पाँच मैचों की सिरीज़ में सबसे ज़्यादा (37) विकेट लेने वाले मिचेल जॉनसन के रिकॉर्ड को भी तोड़ देंगे.
बुमराह के अलावा अगर किसी एक और खिलाड़ी ने अपने दम पर इस मैच को पाँचवे दिन आख़िरी घंटे तक ले जाने में और टीम इंडिया को हार से बचाने की बेचैनी में अपना सब कुछ झोंक दिया, तो वो रहे युवा ओपनर यशस्वी जायसवाल.
मुंबई के इस 23 साल के बल्लेबाज़ ने भारत की दूसरी पारी में गेंदबाज़ी के दौरान एक या दो नहीं, बल्कि तीन कैच छोड़े थे जिसके चलते उन्हें अपने कप्तान रोहित शर्मा से सार्वजनिक तौर पर डाँट भी सुननी पड़ी थी.
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शायद यही वजह थी कि चौथी पारी में टीम इंडिया को जब मैच जीतने या बचाने के लिए अगर किसी एक शख़्स से सबसे ज़्यादा उम्मीदें थी, तो वो थे जायसवाल.
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बुमराह और यशस्वी जायसवाल की बदौलत खेल पाँचवें दिन तक गया
पर्थ टेस्ट में बुमराह ने शानदार गेंदबाज़ी की थी, ठीक मेलबर्न की ही तरह. जायसवाल ने भी पर्थ टेस्ट में 161 रनों की असाधारण पारी खेली थी जिसके चलते सिरीज़ में टीम इंडिया को 1-0 की बढ़त मिली थी.
जायसवाल ने अपने पहले ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर मानसिक एकाग्रता और बल्ले से आक्रामकता का अद्भुत मेल दिखाते हुए भारत के लिए सिरीज़ में सबसे ज़्यादा रन भी बना डाले.
लेकिन, कमिंस की गेंद पर जिस तरह आख़िरी लम्हों में उन्होंने हुक शॉट खेलने का प्रयास किया, उससे उन्हें ख़ुद पर पछतावा भी हो रहा होगा.
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पहली पारी में भी वो अच्छा खेल रहे थे, लेकिन रन आउट हुए. दूसरी पारी में फिर से वो शतक बनाने की तरफ बढ़ रहे थे, जायसवाल फिर से मैच को ख़ुद के लिए और टीम के लिए यादगार बनाने से चूक गए.
इस टेस्ट में भारत के लिए एक और स्टार रहे नीतीश कुमार रेड्डी. पहली पारी में नीतीश के शतक की बदौलत भारत एक सम्मानजनक स्कोर खड़ा करने में सफल हो पाया.
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पहली पारी में भारत ने सात विकेट 221 रन पर गँवा दिए थे. लेकिन नीतीश रेड्डी ने वॉशिंगटन सुंदर के साथ मिलकर आठवें विकेट के लिए 127 रनों की बड़ी साझेदारी की.
वे 114 रन बनाकर आउट हुए. उन्होंने ये भी दिखा दिया कि जिस पिच पर ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज़ों का सामने टीम इंडिया के कई धुरंधर खिलाड़ी नहीं कर पाए, वहीं पर नीतीश ने समझदारी भरी पारी खेलते हुए भारत को 350 के पार पहुँचने में मदद की.
भारत के लिहाज से देखें, तो ये टेस्ट जसप्रीत बुमराह, यशस्वी जायसवाल और नीतीश कुमार रेड्डी के प्रदर्शन के कारण जाना जाएगा. बुमराह ने इस टेस्ट में कुल नौ विकेट लिए. साथ ही भारत के ऐसे तेज़ गेंदबाज़ बने, जिन्होंने सबसे कम टेस्ट में 200 विकेट पूरे किए.
इस हार के बाद टीम इंडिया के चयन को लेकर काफ़ी सवाल होंगे. कप्तान रोहित शर्मा और पूर्व कप्तान विराट कोहली के लिए शायद ये आख़िरी ऑस्ट्रेलिया दौरा है.
इस जोड़ी ने पिछले दो दौरों पर टीम इंडिया को सिरीज़ जीतते देखा है और वो कभी नहीं चाहेंगे कि सिडनी में उन्हें एक और हार या फिर सिरीज़ हार के नतीजे से भारत लौटना पड़े.
क्या दौरे के आख़िरी मैच में रोहित-कोहली की जोड़ी वो कर पाएगी, जिसके चलते उन्हें 29 जून 2024 को बारबाडोस में यादगार और भावनात्मक तरीक़े से क्रिकेट को टी20 फ़ॉर्मेट में अलविदा कहने का मौक़ा मिला.
क्या टेस्ट क्रिकेट में भी ये दिग्गज ऐसी यादगार विदाई के बारे में सोच सकते हैं? ये सवाल सिडनी टेस्ट के ख़त्म होने तक भविष्य के गर्भ में ही छिपा रहने वाला है.